कार्यक्रम क्या है? | Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan
कार्यक्रम क्या है?

कार्यक्रम क्या है?

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का शुभारंभ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (स्वा.एवं प.क.मंत्रा.), भारत सरकार द्वारा किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य हर माह की नवीं तारीख़ को सार्वभौमिक स्तर पर सभी गर्भवती महिलाओं को निश्चित, व्यापक एवं गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना है।

भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने 31 जुलाई 2016 को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के उद्देश्य और प्रयोजन पर प्रकाश डाला।

पीएमएसएमए के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी व तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के 4 महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज़ प्रदान किया जाएगा।

यह कार्यक्रम प्रणालीगत दृष्टिकोण का पालन करता है, जिसके तहत निज़ी क्षेत्र के चिकित्सकों को स्वयंसेवक के रूप में प्रोत्साहित किया जाता है; तथा यह सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में निज़ी क्षेत्रों के चिकित्सकों के भाग लेने एवं जागरूकता पैदा करने के लिए रणनीति भी विकसित करता है।

कार्यक्रम के मूल कारण

आंकड़े दर्शाते है कि भारत में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 385/ लाख जीवित जन्में बच्चों के दौरान, 556 महिलाओं के मरने के साथ, 385/लाख जीवित जन्मों की वैश्विक एमएमआर की तुलना में वर्ष 1990 में बहुत अधिक थी।

आरजीआई-एसआरएस (2011-13) के अनुसार भारत की एमएमआर में 216/लाख जीवित जन्म (2015) की वैश्विक एमएमआर के खिलाफ़ 167/लाख जीवित जन्म की गिरावट आयी है। भारत ने 44% की वैश्विक गिरावट की तुलना में वर्ष 1990 और 2015 के बीच 70% एमएमआर में समग्र गिरावट दर्ज की गयी है।

जबकि भारत ने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में काफ़ी प्रगति की है। हर साल लगभग 44000 महिलाएं गर्भावस्था संबंधी कारणों के कारण मर जाती हैं तथा लगभग 6.6 लाख शिशु जीवन के पहले 28 दिनों के भीतर मर जाते हैं। यदि गर्भवती महिलाओं को उनकी प्रसव पूर्व की अवधि के दौरान गुणवत्तायुक्त देखभाल प्रदान जाएँ तथा उच्च ज़ोखिम वाले कारक जैसे कि गंभीर एनीमिया, गर्भावस्था प्रेरित उच्च रक्तचाप इत्यादि का समय पर पता लगाकर अच्छी तरह से प्रबंधित किया जाएँ, तो इन मौतों में से कई को रोका जा सकता हैं तथा कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।

पीएमएसएमए की मुख्य विशेषताएं

यह इस तथ्य पर आधारित है- कि यदि भारत में हर गर्भवती महिला की पीएमएसएमए के दौरान ओबीजीवाई विशेषज्ञों/रेडियोलाजिस्ट/चिकित्सकों द्वारा कम से कम एक बार उचित जांच करायी जाएं, तथा उसका उचित पालन किया जाएँ, तो इस प्रक्रिया के परिणामस्वरुप देश में मातृ एवं नवजात मौतों की संख्या में कमी लायी जा सकती है।

सरकारी सेवाओं के प्रयासों के तहत निज़ी क्षेत्र के चिकित्सकों के सहयोग से ओबीजीवाई विशेषज्ञों/रेडियोलाजिस्ट/चिकित्सकों द्वारा प्रसव पूर्व जांच सेवाएं मुहैया कराई जाएगी।

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